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अप्रैल, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
लब को आजाद करने दो मुट्ठी भींच लेने दो उन्हें तस्वीर जमाने की जरा सा खींच लेने दो तुम पीपल हो पी लोगो समंदर भी मगर रुको नई जो पौध पनपी हैं इन्हें भी सींच लेंने दो
आसमानी तारे भी सुनहरे लाल नीले हो गए  जब घर की बेटी लाडली के हाथ पीले हो गए  मुस्कराते रहे "पापा" बेटी के जाने तक मगर उसके बाद यूँ रोये की सबके पोर गीले हो गए