1
लिपटे रहिये आप अपने सच और संस्कार में
सब कुछ झूठा सा हैं अब ईमान के व्यापार में
कौन कहता हैं यंहा सिर्फ अखबार बिकते हैं
कलम भी बिकने लगी आजकल अख़बार में
2
झाड़ियों को ही गुलाब लिख डाला
सवालों को ही जबाब लिख डाला
झोपड़ियों में वो रहते हैं मुश्किल से
तुमने आंकड़ो में नबाब लिख डाला
दो जून की रोटी मयस्सर नही होती
तुमने थाली में कबाब लिख डाला
आंधियो से उड़ गया आशियाना मेरा
तुमने मौसम का सबाब लिख डाला
लिपटे रहिये आप अपने सच और संस्कार में
सब कुछ झूठा सा हैं अब ईमान के व्यापार में
कौन कहता हैं यंहा सिर्फ अखबार बिकते हैं
कलम भी बिकने लगी आजकल अख़बार में
2
झाड़ियों को ही गुलाब लिख डाला
सवालों को ही जबाब लिख डाला
झोपड़ियों में वो रहते हैं मुश्किल से
तुमने आंकड़ो में नबाब लिख डाला
दो जून की रोटी मयस्सर नही होती
तुमने थाली में कबाब लिख डाला
आंधियो से उड़ गया आशियाना मेरा
तुमने मौसम का सबाब लिख डाला
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें